सात साल से रुके एक हजार बच्चों के 27 लाख रु. मिलेंगे

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जिलेके 1 हजार बाल श्रमिकों के 7 साल से अटके 27 लाख रुपए अब उन्हें मिलेंगे। इसके अलावा बाल श्रमिकों को मुक्त कराने के बाद उन्हें बाल अपचारियों के साथ रखने की बजाय अलग से बाल संप्रेषण गृह में रखा जाएगा। यही नहीं जो पुलिस अब अकेले बाल श्रमिकों को मुक्त कराने की कार्रवाई नहीं करेगी। माह में कम से कम 5 बार टॉस्क फोर्स सदस्यों को साथ रखेगी। यह तीन निर्णय शुक्रवार को कलेक्टर की अध्यक्षता में हुई बैठक में लिए गए हैं। प्रशासन बाल कल्याण समिति के सदस्यों ने भी माना कि दैनिक भास्कर ने बाल श्रमिकों श्रम विभाग तथा पुलिस की कार्रवाई को लेकर जो मुद्दे उठाए थे वे सही हैं और उन पर कार्रवाई शुरू कर दी गई है। कलेक्ट्रेट सभा कक्ष में शुक्रवार दोपहर 12 बजे कलेक्टर राजन विशाल की अध्यक्षता में बाल संरक्षण समिति की बैठक हुई। कलेक्टर ने कहा कि इन बाल श्रमिकों को पकड़ कर पुन छोड़ने से पुनर्वास नहीं हो पाएगा, इसके लिए गरीब परिवारों को सरकार की योजनाओं से जोड़ना होगा। समाज कल्याण विभाग इन बाल श्रमिकों की पढ़ाई एवं योजनाओं से जोड़ने कार्य तुरंत करे और मासिक रिपोर्ट उन्हें दे। जब तक इन बाल श्रमिकों के परिवारों को सरकारी योजनाओं से नहीं जोड़ा जाएगा तब तक यह बाल श्रमिक पकड़े जाएंगे। आयोगभी ले चुका है मामले पर संज्ञान बालश्रमिकों के मुद्दे पर बाल संरक्षण आयोग भी दैनिक भास्कर में प्रकाशित खबरों पर संज्ञान ले चुका है। इस संबंध में 12 जनवरी को आयोग सदस्य एस पी सिंह ने बाल अपचार गृह एवं संप्रेषण गृह का निरीक्षण किया था। राज्य बाल अधिकार संरक्षण आयोग ने समाज कल्याण विभाग को नोटिस दे कहा कि बाल संप्रेषण गृह और बाल अपचार गृह अलग अलग किए जाएं।